हमें कौन चाहिए गुरु या बाबा
जिस देश में गुरू को भगवान का दर्जा दिया गया है वहां ही आज पाखंडी बाबाओं की सेल लगी है, आज जब भी हम न्युज चैनल ओन करते हैं तो नये नये बाबा ओ का कृत्य सूनने को मिलते हैं ऐसे बाबा ओ की वजह से ही अज हमारा धर्म बदनाम होता है, ऐसे बाबाओं ने धर्म को धंधा बना दिया है,मुजेतो ऐही समज नहीं आता कि ऐसे बाबा के पास जाने की ज़रूरत ही क्या है,जब हमारे पास गीता, महाभारत,वैद,पुरान जैसे महान साहित्य ओर कथाऐ मजुद है, क्या बड़े बड़े आश्रम बना देने से ओर ढ़ेर सारे अनूआई ओर चम्मचे होने से कोई गुरू नही बनत गुरू वो होता है जो सही रास्ता दिखाएं जो हमारे सही रास्ता दिखाएं वो नही जो हमारी अज्ञानता दुर करने में मदद करे हमारे न अवगूनौ को सद्गुणों में बदले लेकिन आज कल के गुरू तो अपने अनुयायियों की संख्या बढ़ाने के लिए ही आश्रम चलाते हैं वो आश्रम के नाम पर
अंधश्रद्धा की पाठशाला चलाते हैं वो तो जेसे चोर,डाकु डरा धमकाकर पैसे लुटते है वैसे ही हमे भगवान का डर दिखा कर दान के नाम पर अपनी तीजोरी भरते हैं, ओर एक तरफ तो वो कहते है की मोह माया का त्याग कीजिए और दुसरी तरफ वो ही हमारी मां बहन बेटियों की इज्ज़त से खिलवाड़ करते हैं ऐसे लोगों को तो सबके सामने फंसी दे देनी चाहिए वरना एक दिन सबको हमारे धर्म से भरोसा उठ गया,
अंत में मैं इतना ही कहुंगा की गुरू बनाएं लेकिन उनकी गले में बड़ी मत पहनने ऐसे गुरु चुनिए जो भगवानकी भक्ति करने को कहे अपनी नही।
इसलिए तो हमारे शास्त्रों में लिखा है गुरू और बीवी संभल कर चुन्ना चाहिए वरना पूरी लाइफ बर्बाद हो सकती है।
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