आज जो हमारा पेट भरते है उसे ही पेट भर खाना नहीं मिलता जो हमारे बच्चे को भरपेट खाना देता है उसके बच्चे ही भूखे हैं
जो दीन रात एक करके खून पसीना बहा कर अनाज उगाता है फिर भी उसे उसकी उसे कीमत नहीं मिलती जससे वो अपने परिवार को अच्छा भविष्य मीले नाही वो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सके हमें लगता है कि जो अनाज ओर सब्जियों की कीमत देते हैं वो कीमत कीसान कोभी मिलता है लेकिन उका शरीफ 10 पतीसद ही मीलता जो सब्जी हमें 100 उपै में लेते है वो किसन को शरीफ 10 उपै ही मीलते है कीसान के पास अपना सामान देने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है ।
जो हम पर मेहंगाई के नाम पर पैसे लिए जते है वो सब बीच के लोग ही अपने तीजोरी में जाता है
असलीऐ अज कीसान गरीब है और वैपारी अमीर है वो BMW में घुमता है और किसान पैदल चलने को मजबूर हैं।
वो अलीसान घर में रेहता है और किसान टूटे-फूटे घर में रेहने को मजबूर हैं आज बड़े बड़े बीजनेश मेन करोड़ों की लोन नहीं चूकाते है फिर भी वो बच जाते हैं और किसान आत्महत्या कर ने को मजबूर हैं कब तक चलेगा अत्याचार।
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